
टमाटर भारत में सबसे लोकप्रिय और सब्जी सब्जियों में से एक है, जो रबी सीज़न (नवंबर से फरवरी) के दौरान अच्छी तरह से उगता है। अगर आप अनुभवी किसान हैं या शुरुआत कर रहे हैं, तो सही तकनीक को अपनाना आपकी उपज और गुणवत्ता को काफी बढ़ा सकता है।

सही मिट्टी और स्थान:
टमाटर अच्छी तरह से जल उत्पादकों वाली, बेस्ट किस्म की मिट्टियाँ में बेहतर उगते हैं, जो आम तौर पर रेटीली डोमट से डेलाइट डोमट तक होती हैं। आदर्श मिट्टी का पीएच मान 6.0 से 7.0 के बीच होना चाहिए, जिससे पोषक तत्व अच्छी तरह से मिलें और विकास सही हो। आपके खेत की जगह पर रोज़ाना कम से कम 6-8 घंटे धूप प्राप्त होनी चाहिए ताकि फल बेहतर विकसित हो।
बीज चयन और बिजनेस तैयारी करना
अपने जलवायु और जलवायु परिवर्तन के लिए उच्च उपज वाले, रोगविज्ञानी टमाटरों के औषध क्षेत्र का चयन करें। छाँव वाले स्थान पर साझीदारी में बीज बोएं और 6-8 सप्ताह बाद जब उपचार 15-20 सेमी की मंजिल पर पहुंचें तो उन्हें खेत में जगह दें।
लैपटॉप और पौध की दूरी
60-75 सेमी और प्रमाणित के बीच 45-60 सेमी की दूरी ताकि हवा और धूप ठीक रहे। मजबूत होने के उपाय, सोल्यूशन के समय के उपाय, तने का दो-तिहाई भाग, मिट्टी में डूबा हुआ, जिससे नया जड़ विकसित हो।
खोज और मशीनरी तत्व प्रबंधन
टमाटरों को नियमित मंदिर बनाना चाहिए लेकिन जल जमाव से बचाव करना चाहिए। टपक सीलन या नाली सीलन का प्रयोग, विशेष रूप से फूल आने और फल बनने के समय। औद्योगिक खाद और जैविक खाद समय-समय पर दे; हर 3-4 सप्ताह में पोटेशियम की खाद पलटाई करें जिससे फलोत्पादन होगा।

कीट एवं रोग नियंत्रण
आम कुक में फिड्स, फल खाने वाले कीड़े और सफेद मक्खी शामिल हैं। कल्ट्री पर उपलब्ध सुरक्षित कीटनाशकों का उपयोग या जैविक नियंत्रण का सहारा लें। नियमित का नियमित निरीक्षण करें और रोगग्रस्त नामांकितों को हटा दें ताकि लक्षण जैसे रोग न हों।

फसल काटने की सलाह और बाजार के लिए तैयार उत्पाद
टमाटरों को तब रासायनिक पदार्थ कहा जाता है जब फल पूरी तरह से रंग चढ़ जाते हैं लेकिन सख्त हो जाते हैं। सावधानी से कटौती करें ताकि फल खराब न हों, और आकार और गुणवत्ता के अनुसार चिंता करें ताकि बाजार में अच्छे दाम मिलें। अद्वितीय और हवादार जगह पर स्टोर करने से फलों की आर्किटेक्चर लाइफ़ बहुतायत है।
रबी सीज़न में टमाटर की खेती से श्रेष्ठ कृषकों के पालन से अच्छी उपज मिलती है। मिट्टी की तैयारी, गुणवत्ता वाले बीज, समय पर खोज और कीट नियंत्रण के साथ, पूरे भारत में किसान उपज को बढ़ाया जा सकता है और अपने बाजार एवं पोषण की मांग पूरी की जा सकती है।

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